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अप्रैल, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

किसान इस वक्त आम की फसल की करे ऐसे निगरानी, वरना झेलने होंगे बड़े नुकसान।

Mango Crop ( aam ki dekhbhal ) : डॉ एसके सिंह से जानते हैं कि इस समय ऐसे कौन से प्रभावी उपाय हैं, जो आम की फसल को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।  aam ki dekhbhal Mango Crop (aam ki dekhbhal) आम की फसल ( Mango Crop ) के लिए यह समय बेहद ही महत्वपूर्ण है। यह समय आम में फल की गुठली लगने की प्रक्रिया के शुरू होने का है। असल में शुरुआत में आम के पेड़ में जिनते बौर लगे थे, उसमें से 95 फीसदी बौर इस समय तक गिर चुके होते हैं और 5 फीसदी बौर ही फल का रूप लेते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए मौजूदा समय को बागवानी विशेषज्ञ आम की फसल महत्वपूर्ण मानते हैं।  Mango Crop   ( aam ki dekhbhal ) आम की टॉप दस किस्में varieties of Mango, जिनका उत्पादन और मार्केट डिमांड ज्यादा और लागत कम। ऐसे समय में किसानों को कुछ प्रभावी उपाय करने की जरूरत होती हैं. अगर यह प्रभावी किसानों की तरफ से नहीं अपनाए जाते हैं तो आम की फसल पर कीड़े लगने की संभावना रहती है। आईए बागवानी विशेषज्ञ और डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के फल वैज्ञानिक डॉ एसके सिंह से जानते हैं कि इस समय

किसान करे गन्ने sugarcane की इस वेरायटी Co 13235 की खेती, बदल सकती है किसानों की तकदीर।

sugarcane variety Co 13235 : कोयम्बटूर शाहजहांपुर 13235 अगेती किस्म है, जो एम़एस़ 6847 और को़ 1148 के संकरण द्वारा विकसित की गयी है।  ganne ki kism Co 13235 sugarcane variety Co 13235 ganne ki kism ganne ki kism Co 13235 : गन्ना बुवाई का वक्त है। Co 238 किस्म को लाल सड़न रोग ने चपेट में ले रखा है तो ऐसे में कोशा.(कोयम्बटूर शाहजहांपुर) 13235 नंबर के गन्ने की बुवाई करना बेहद मुफीद माना जा रहा है। यह गन्ना co 238 नंबर गन्ने का बेहतर विकल्प बन रहा है।  sugarcane variety Co 13235 उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने इस वेरायटी को तैयार किया है, पिछले साल ही इस वेरायटी को स्वीकृति मिली है। परिषद ने प्रदेश के 28 जिलों में co s 13235 नंबर गन्ने का 300-300 क्विंटल बीज भेजा है। हालांकि इस बीज की अभी उपलब्धता बेहद कम है, लेकिन किसान गन्ने का बीज तैयार कर सकते हैं।  sugarcane variety Co 13235 एंथुरियम फूल की तरफ आकर्षित होरहे किसान, एंथुरियम फूल की खेती की पूरी जानकारी।

अब उमंग ऐप Umang App पर ईपीएफओ EPFO पेंशन पासबुक और स्टेटमेंट की जांच करें, एंड्रॉइड स्मार्टफोन से।

Online pension passbook statement : अब पेंशनभोगी आसानी से ईपीएफओ पेंशन पासबुक, स्टेटमेंट, अकाउंट डिटेल्स और बैलेंस ऑनलाइन चेक कर सकते हैं।  Umang app Online pension passbook statement Umang app उमंग ऐप Umang App पर ईपीएफओ EPFO पेंशन पासबुक और स्टेटमेंट की जांच करें, एंड्रॉइड स्मार्टफोन उपयोगकर्ता अब गूगल प्लेस्टोर से उमंग मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड कर सकते हैं और पेंशनभोगियों की सेवाओं की सूची देख सकते हैं।  Online pension passbook statement कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अब 'उमंग ऐप' Umang App के माध्यम से एक नई “View Pension Passbook” सेवा शुरू की है। ईपीएफओ एक सेवानिवृत्ति निधि निकाय है जो अपने सभी हितधारकों को विभिन्न ई-सेवाएं प्रदान करता है।  Umang App यूपी किसान आसान किस्त योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ऐसे करे। अब पेंशनभोगी आसानी से ईपीएफओ पेंशन पासबुक, स्टेटमेंट, अकाउंट डिटेल्स और बैलेंस ऑनलाइन चेक कर सकते हैं। यहां हम उमंग ऐप पर “View Pension Passbook” सेवा का उपयोग करके अपने पासबुक विवरण की जांच करने का विवरण प्रदान कर रहे हैं। 

चंदन की हाइब्रिड किस्में, इसके पेड़ से ले सकते है जबरदस्त मुनाफा।

sandalwood hybrid varieties :  चंदन की यह किस्म मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में पाई जाती है, चंदन की हाइब्रिड किस्में  जिसे इत्र, दवाई, हवन सामग्री और महंगी सजावट की चीजों को बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है।  chandan hybrid kisme चंदन की हाइब्रिड किस्में sandalwood hybrid varieties चंदन की हाइब्रिड किस्में : चंदन को सबसे ज्यादा मुनाफे देने वाला पेड़ माना जाता है। इस पेड़ की खेती से किसान आसानी से लाखों-करोड़ों कमा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चंदन की अत्यधिक मांग है। sandalwood hybrid varieties चंदन के पेड़ की खेती करे किसान, कमाई 3 करोड़ प्रति एकड़। हालांकि इस डिमांड को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। यही कारण है कि चंदन के पेड़ों की लकड़ियों के कीमतों में पिछले कई सालों से भारी वृद्धि देखी गई है।  sandalwood hybrid varieties चंदन के पौधों को जैविक और पारंपरिक दो तरीकों से उगाया जा सकता है। इसके पेड़ों को जैविक तरीके से उगाने में करीब 10 से 15 साल लगते हैं, जबकि पारंपरिक तरीके से एक पेड़ को उगाने में करीब 20 से 25 साल लग जाते हैं।  sandalwood

नींबू की हाइब्रिड किस्मों की जानकारी, नींबू उगाइए और फायदा उठाएं।

hybrid varieties of lemon :  नींबू के पौधे लगाने का उचित समय जुलाई महीने का पहला सप्ताह उचित रहता है। ( नींबू किस्में)  फरवरी महीने का भी पहला सप्ताह उपयुक्त है। nimbu ki hybrid kisme hybrid varieties of lemon (nimbu ki hybrid kisme) अगर आप नींबू की खेती करने की सोच रहे हैं तो आप ठीक सोच रहे हैं। क्योंकि वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली नींबू की खेती में कम खर्च में अच्छी खासा आमदनी में इजाफा किया जा सकता है। और किसान लाखों रुपए कमा सकता है।  hybrid varieties of lemon इस नींबू से कमाए पूरा साल पैसा। इसी के चलते अब परंपरागत खेती से हटकर किसानो का बागवानी की तरफ रुझान भी बढ़ रहा है।  नींबू किस्में  वहीं बागवानी विभाग भी नींबू की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 40% अनुदान के रूप में 4600 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान राशि दे रहा है।  hybrid varieties of lemon अभी उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के गढ़ी गांव के 42 साल के किसान रमन सिंह ने ड़ेढ एकड़ में नींबू की खेती शुरू की है। nimbu ki hybrid kisme रमन ने बताया कि जिस तरह से नींबू की मार्केट में आज डिमांड

करेला की हाइब्रिड वरिटीज़, बंपर उत्पादन और रोग कम।

karela hybrid varieties : करेला की यह हाइब्रिड किस्म कृषि अनुसंधान संस्थान, कोयंबटूर द्वारा जारी की गई है। फल लंबे, कोमल और सफेद रंग के होते हैं। यह किस्म बरसात के मौसम के लिए उपयुक्त है। करेला की हाइब्रिड किस्में   Bitter Gourd Varieties karela hybrid varieties Bitter Gourd Varieties karela hybrid varieties हमारे देश में करेले के पौधे और फलों के लक्षणों में व्यापक विविधता पाई जाती है। Bitter Gourd Varieties (करेला की हाइब्रिड किस्में) गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली किस्में छोटे फल वाली होती हैं और बरसात के मौसम में उगाई जाने वाली किस्में लंबे फल वाली होती हैं। Bitter Gourd Varieties लौकी की हाइब्रिड किस्में, लागत कम और उत्पादन ज़्यादा। करेला मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली गर्म मौसम की फसल है, हालांकि, इसे थोड़ा कम तापमान पर भी उगाया जा सकता है।  karela hybrid varieties करेला आमतौर पर गर्मियों के साथ-साथ बरसात के मौसम में भी उगाया जाता है। बाद के मौसम में, बेल की वृद्धि बहुत व्यापक रूप से फैली हुई है।( करेला

लौकी की हाइब्रिड किस्में, लागत कम और उत्पादन ज़्यादा।

loki ki hybrid kisme लौकी की अर्का बहार किस्म लंबी और सीधी होती है और यह चमकीले हरे रंग की होती है। यह प्रति हेक्टेयर 40-45 टन तक उपज देता है। hybrid variety bottle gourd loki ki hybrid kisme hybrid variety bottle gourd लौकी जिसे हम घिया के नाम से भी जानते हैं। घी की खेती हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है। hybrid variety bottle gourd कई राज्यों में किसान लौकी की खेती का व्यवसाय भी करते हैं, क्योंकि भारतीय बाजार में इसकी मांग सबसे ज्यादा है।  loki ki hybrid kisme बैगन की उन्नत हाईब्रिड किस्में hybrid varieties of brinjal, रोग कम और उत्पादन ज्यादा। राजा लौकी की हाइब्रिड किस्म लौकी की इस किस्म को महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, hybrid variety bottle gourd राहुरी द्वारा लॉन्च किया गया है। इस किस्म की लौकी 30 से 40 सेमी लंबी और आकार में बेलनाकार होती है और यह हरे रंग की होती है। यह 150 से 180 दिनों में पक जाती है और प्रति हेक्टेयर 400-500 क्विंटल तक उपज देती है।  loki ki hybrid kisme

इस तरह मांगुर मछली पालन से ले ज्यादा उत्पादन, इस मछली पालन में है जबरदस्त आमदनी।

mangur machli palan  :  मंगूर मछली की खेती कम गहराई और कम ऑक्सीजन में अच्छी तरह से की जा सकती है। मंगूर मछली (mangur fish farming) में प्रोटीन और आयरन अधिक मात्रा में पाया जाता है, जबकि फैट कम पाया जाता है। बाजार में मांगुर की कीमत 500 रुपये से 600 रुपये प्रति किलो तक है।  mangur machli palan Mangur machli palan मंगूर मछली की खेती मछली पालन किसानों के लिए लाभ का जरिया बन गया है, किसान मछली पालन से कम क्षेत्र में अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। ( mangur fish farming ) इसके साथ ही मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. मछली पालन में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह आवश्यक है कि वे मौसम, जलवायु और मिट्टी और पानी को ध्यान में रखते हुए सही मछली का चुनाव करें।  mangur machli palan देशी मंगूर जिसका वैज्ञानिक नाम क्लारियस मंगुर है, मूल रूप से मीठे पानी की कैटफ़िश की एक प्रजाति है। मंगूर मछली की खेती mangur fish farming कम गहराई और कम ऑक्सीजन में अच्छी तरह से की जा सकती है। मंगूर मछली में प्रोटीन और आयरन अधिक मात्रा में पाया

मूंग की खेती और उन्नत किस्मों की जानकारी।

moong ki sabse acchi kisme: मूंग की यह किस्म सिंचित इलाकों में गर्मियों के मौसम में उगाई जाती है। जो 65 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति एकड़ ढाई से साढे़ तीन कुंतल है। moong ki kheti मूंग की सबसे अच्छी किस्में मूंग की सबसे अच्छी किस्में (moong variety) moong ki kheti : गर्मियों में विभिन्न किस्मों की दलहन की फसलों में मूंग की खेती का विशेष स्थान है। मूंग या समर मूंग की खेती के फायदों को देखते हुए कृषि विभाग किसानों को इस फसल की खेती करने की सलाह देता है। विभाग के अनुसार, इसकी खेती करने से अतिरिक्त आय, खेतों का खाली समय में सदुपयोग, भूमि की उपजाऊ शक्ति में सुधार, पानी की सदुपयोग आदि के कई फायदे बताए गए है।  moong ki sabse acchi kisme जीरे की एक बेहतरीन किस्म जिसका उत्पादन बहुत शानदार और यह सिर्फ तैयार होगी 90 दिनों में। मूंग की किस्में (के 851)  यह किस्म किसी भी जमीन में उगाई जा सकती है। moong ki kheti जहां इस फसल के लिए सिंचाई की उचित व्यवस्था हो। इस फसल के पौधे मध्यम ऊंचाई वाले, दानों का आकार मध्यम व चमकीले हरे होते है। ज्यादातर फलियां एक बार में पक जाती हैं। इसकी

प्रमुख तिलहनी फसलों में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम

तिलहन फसलों की श्रेणी में कई तरफ की फसले आती हैं. इन सभी तरह की फसलों के उत्पादन से किसान भाइयों को अच्छा ख़ासा लाभ प्राप्त होता है. क्योंकि तिलहन फसलों का बाजार भाव बाकी की फसलों से अधिक पाया जाता है. तिलहन फसलों की उपज रबी और खरीफ दोनों मौसम में ही की जाती है. इन सभी फसलों को अलग अलग जगहों के आधार पर मौसम के अनुसार उगाया जाता है. लेकिन कभी कभी इन फसलों में कुछ ऐसे रोग लग जाते हैं जिनकी वजह से फसलों में काफी ज्यादा नुक्सान देखने को मिलता है. इसलिए फसल से उत्तम पैदावार लेने के लिए इन रोगों की रोकथाम शुरुआत में करना काफी अच्छा होता है. प्रमुख तिलहनी फसलों में लगने वाले रोग सरसों में प्रमुख रोग सफेद गेरूई सरसों के पौधों में इस रोग की रोकथाम के लिए शुरुआत में बीजों को मेटालेक्सिल से उपचारित कर उगाना चाहिए. इसके अलावा प्रमाणित बीजों का चयन कर उचित समय पर उगा देना चाहिए. पत्र लांक्षण पत्र लांक्षण रोग की रोकथाम के लिए शुरुआत में बीजों का दो प्रतिशत थिरम दवा से उपचारित कर उगाना चाहिए. खड़ी फसल में रोग दिखाई देने पर पौधों पर 0.2 प्रतिशत मैंकोजेब एम – 45 की उचित मात्रा को पानी में मिलाकर पौधों पर