सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

लहसुन की ज़्यादा उपज वाली टॉप उन्नत किस्में।

लहसुन की ज़्यादा उपज वाली और शानदार टॉप उन्नत किस्में।

लहसुन की उन्नत किस्मे जिनकी उपज भी ज़्यादा है और इनसे मुनाफा भी आप ज़्यादा ले सकते है। garlic top varieties और किस्मो के मुकाबले कम लागत और मुनाफा ज़्यादा। मार्किट डिमांड भी ज़बरदस्त और रोग के आने के चांस भी बहुत कम। garlic top varieties

लहसुन की ज़्यादा उपज वाली टॉप उन्नत किस्में।

लहसुन की टॉप किस्में (garlic top varieties)

किसान भाइयो लहसुन की खेती का समय नज़दीक है। garlic top varieties और हमारे पास अब समय है की हम अच्छे से लहसुन की उन्नत किस्मो का चयन कर ले। कौन सी किस्म हमको लगानी चाइये जिसमे हमारी लागत भी ज़्यादा हो और मुनाफा भी ज़्यादा हो। आज की पोस्ट में हम आपको ऐसी ही लहसुन की टॉप किस्मो के बारे में बताएंगे। garlic top varieties

यह भी पढ़े -गेहूं की नई किसम का बीज बुक करे ऑनलाइन।

लहसुन हमारी रोज़ाना की ज़िन्दगी में इस्तेमाल होता है। और लहसुन की पुरे साल मार्किट में डिमांड रहती है। लहसुन पेस्ट, लहसुन पाउडर, लहसुन मसाला आदि चीज़ो में इस्तेमाल किया जाता है। जबकि गाँव के लोग लहसुन का इस्तेमाल चटनी बनाने में करते है। garlic top varieties

भारत में लहसुन की खेती अधिकतर सभी राज्यों में होती है। लेकिन उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरयाणा, राजस्थान, तमिल नायडू में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है। अगर किसान लहसुन की खेती से ज़्यादा उपज प्राप्त करना चाहते है तो आधुनिक किस्मो की बुवाई करके खेती करनी चाइये। garlic top varieties

यह भी पढ़े -सरसों की खेती के लिए टॉप 4 हाइब्रिड किस्में। ज़्यादा उत्पादन, और ज़बरदस्त मार्किट डिमांड।

जलवायु 

लहसुन की खेती के लिए मध्यम ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है। garlic top varieties

लहसुन की ज़्यादा उपज वाली टॉप उन्नत किस्में।

मिट्टी 

लहसुन की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। बहेतर उपज के लिए अपने खेत में रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल करे। garlic top varieties

खेत तैयार करे 

किसान भाइयो सबसे पहले खेत में देसी सड़ी गोबर खाद डाल कर गहरी तीन जुताई करनी चाइये। इसके बाद खेत को समतल बना कर किरियाँ बना लेनी चाइये। लहसुन की अधिक उपज के लिए 1.5 से 2 क्विंटल स्वस्थ कलियाँ एक एकड़ के लिए लगती है। garlic top varieties कियारियो में दुरी 15 सेंटीमीटर होनी चाइये। और दो पोधो की दुरी 7.5 सेंटीमीटर होनी चाइये। कलियों की गहराई 5 सेंटीमीटर तक रखनी चाइये। 10 से 15 दिन के बाद सिचाई करते रहना चाइये और सिचाई से पहले निराई गुड़ाई करके सारी खाटपरवार ज़रूर निकाल देनी चाइये। garlic top varieties

यह भी पढ़े -बालियाँ बनने के बाद धान की फसल को सुरक्षित रखने का बहेतरीन स्प्रे।

लहसुन की टॉप उन्नत किस्मे 

टाइप- 56- 4 

लहसुन की इस किस्म का विकास पंजाब के कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया है। इस किस्म की लहसुन में गांठे छोटी और सफेद होती है और हर गाठ में 25 से 35 पुत्तियाँ होती है। किसान इस किस्म को बुवाई करके प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्वंटल / हेक्टेयर उपज प्राप्त कर सकते है। garlic top varieties

आईसी- 49381 

लहसुन की इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा किया गया है। यह किस्म 160 से 180 दिन में तैयार होजाती है। इसमें किसानो को काफी उपज प्राप्त होती है। garlic top varieties

यह भी पढ़े -भारत में उपलब्ध सभी TAFE (Eicher+Massey) ट्रैक्टर्स की जानकारी कीमत के साथ।

सोलन 

यह किस्म हिमांचल प्रदेश कृषि विष्वधियालय द्वारा विकसित की गयी है। इस किस्म में पौधे में पुत्तियाँ काफी मोटी और चौड़ी होती है। इसका रंग गहरा होता है। हर गाँठ में चार पुत्तियाँ होती है। जो काफी मोटी होती है। यह किस्म अन्य किस्मो के मुकाबले ज़्यादा उपज देने वाली किस्म मानी जाती है। garlic top varieties

लहसुन की ज़्यादा उपज वाली टॉप उन्नत किस्में।

एग्री फाउंड वाइट (41 जी)

यह किस्म 150 से 160 दिन में तैयार होजाती है। इसमें किसानो को प्रति हेक्टेयर 130 से 140 कुंतल उपज प्राप्त होती है। यह किस्म गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटका, राज्यों के लिए विकसित की गयी है। स किस्म को अखिल भारतीय सब्ज़ी सुधार परियोजना के द्वारा संस्ति की जा चुकी है। garlic top varieties

यह भी पढ़े -इस खेती से किसान कमा लेते है 40 से 50 लाख प्रति एकड़ जानिए कैसे।

यमुना (1-जी) सफ़ेद 

देश भर में इस किस्म की बुवाई की जाती है। इस किस्म को अखिल भारतीय सब्ज़ी सुधार परियोजना के द्वारा संस्ति की जा चुकी है। यह 150 से 160 दिन में तैयार होजाती है। इस से प्रति हेक्टेयर 150 से 175 कुंतल  पैदावार ली जा सकती है। garlic top varieties

जी- 282 

इस किस्म सफेद होती है। इस किस्म का आकर बड़ा होता है। यह किस्म 140 से 150 दिन में तैयार होजाती है। और इस किस्म से किसान भाई 175 से 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज ले सकते है। garlic top varieties

यह भी पढ़े -गन्ने की मोटाई और वज़न कैसे बढ़ाये। किसान करे सितम्बर में यह काम।

आईसी 42891

लहसुन की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म 160 से 180 दिन में तैयार होजाती है। यह किस्म किसानो को काफी ज़्यादा उपज दे सकती है। उपज भी आप इस किस्म से 175 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त कर सकते है। garlic top varieties

किसान भाइयो हमारी लगातार लहसुन की खेती  सम्बंधित पोस्ट आप तक आती रहेगी कृपया करके हमे फॉलो करे। ऊपर साइड में फॉलो का बटन दिया हुआ है। garlic top varieties आप हमे अपनी ईमेल आईडी से सब्सक्राइब भी कर सकते है। ज़्यादा जानकारी के लिए हमे कमेंट करे।  हमारी इस जानकारी को सभी किसान भाइयो तक शेयर ज़रूर करे। धन्यवाद !

#garlicvarieties #advanced_garlic_top_varieties #garlicfarming #lhesun #digitalkisan #digitalvillage

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

कृपया कमेंट बॉक्स में किसी भी स्पैम लिंक को दर्ज न करें।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बढ़िया सरसों की टॉप चार हाइब्रिड किस्मे।

सरसों की खेती के लिए टॉप 4 हाइब्रिड किस्में। ज़्यादा उत्पादन, और ज़बरदस्त मार्किट डिमांड। सबसे अधिक उपज वाली हाइब्रिड सरसों  की उन्नत 4 किस्में। varieties of hybrid mustard उत्पादन भी ज़बरदस्त, मार्किट डिमांड भी शानदार और तेल की मात्रा की प्रतिशत भी इन सरसों की किस्मों में सबसे ज़्यादा।  varieties of hybrid mustard  सरसों की टॉप चार हाइब्रिड किस्में  किसान भाइयो मध्य सितम्बर चल रहा है और सरसों की बुवाई चल रही है। varieties of hybrid mustard जो किसान भाई सरसो की खेती करना चाहते है varieties of hybrid mustard और सरसो की खेती से ज़्यादा उत्पादन चाहते है वो हमारे द्वारा बताई जा रही सरसो हाइब्रिड की टॉप चार किस्मों के बारे में ज़रूर जाने। varieties of hybrid mustard  यह भी पढ़े - किसान करे इस महंगी औषधि की खेती और हर 4 महीने में कमा सकते है 30 से 40 लाख प्रति एकड़। सबसे पहले जो किस्म आती है उसका नाम है - पायनियर- 45s46  यह हाइब्रिड सरसो में बहुत ही अच्छी किस्म मानी जाती है। varieties of hybrid mustard इसकी जो शानदार विशेषता है वो यह है की इसकी शाखाओ से फलियों की संख्या ज़

गन्ने की इस नई किस्म 14201 और 13235 के बारे में, लागत कम और उत्पादन ज़्यादा।

Sugarcane variety : भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान,  Sugarcane CO 14201  variety  लखनऊ द्वारा विकसित CO 14201 और  CO 13235 को 0238 के विकल्प के रूप में देखा जा रहा हैं।  Sugarcane CO 13235 variety Sugarcane CO 14201 and CO 13235 variety गन्ने की इस नई किस्म में लाल सड़न (रेड रॉट) रोग से लड़ने की क्षमता बहुत ज्यादा है Sugarcane CO 13235 variety और बेधक कीट भी कम नुकसान पहुंचाते हैं, साथ ही इस किस्म का गन्ना बिलकुल सीधा खड़ा रहता है, जिससे इसको बंधाई की कम जरूरत पड़ती है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा विकसित CO 14201 और CO 13235 को 0238 के विकल्प के रूप में देखा जा रहा हैं। Sugarcane CO 14201  variety गन्ने की CO 15023 वैरायटी CO 15038 से ज़्यादा उत्पादन देती है। गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के निदेशक डॉ. ज्योत्सेंद्र सिंह बताते हैं, "परीक्षण आंकड़ों पर गहन चर्चा के बाद यह पाया गया, कि इस शीघ्र गन्ना किस्म में प्रचलित किस्म 'को. 0238' से ज्यादा उपज क्षमता के साथ-साथ ज्यादा चीनी परता भी मिला है।  आज जब गन्ने की ' 0238' किस्म में बृहद स्तर पर ला

ग्राम प्रधान के पास क्या पावर होती है और ये काम कैसे करती है।

ग्राम प्रधान पावर : क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत की बैठकों में,  Power Of Gram Pradhan  बजट और उनसे संबंधित योजनाओं को भी मंजूरी दी जाती है। पंचायती राज विभाग के पास कई योजनाओं और नीतियों को लागू करने की जिम्मेदारी है।  Power Of Gram Pradhan ग्राम प्रधान पावर (Power Of Gram Pradhan) उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 के लिए आरक्षण सूची का काम अंतिम चरण में है।  Power Of Gram Pradhan  आरक्षण सूची जारी होने के बाद, किसी भी दिन यूपी पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा की जा सकती है।  Power Of Gram Pradhan  दावेदार, जो राज्य चुनाव आयोग को देख रहे हैं, अधिसूचना जारी होने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि कोरोना के कारण चुनाव में देरी हुई है।  Power Of Gram Pradhan यूपी पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान की कितनी सैलरी होती है। पंचायती राज विभाग के अनुसार, राज्य में त्रिस्तरीय व्यवस्था है।  Power Of Gram Pradhan  इसमें प्रधान का पद बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में, यह जानना आवश्यक है कि प्रधानाचार्य के अधिकार क्या हैं और वे कैसे काम करते हैं? इसलिए हम आपको प्रबंधन से जुड़ी सभी महत्